९. नीम
ना मैं डॉक्टर, ना मैं ओझा,
मैं ना मैं वैद्य-हकीम ।
मैं तो केवल एक पेड़ हूँ,
नाम है मेरा नीम ।
घनी पत्तियों के कारण,
शीतल है मेरी छाया ।
गरमी और थकान मिटी,
जो मेरे नीचे आया ।
सूरज, तारे, धरती, चाँद की,
जब तक चले कहानी ।
हमेशा सबको सुख देने की,
है मैंने मन में ठानी ।
मेरी सूखी पत्ती डालो,
ऊनी कपड़े, अनाज बचा लो ।
सूखी पत्ती के धुएँ से,
मक्खी-मच्छर दूर भगा लो ।
नहीं काटना मुझको तुम,
मैं इतने सुख दे देता ।
सूरज की किरणों से मिलकर,
हवा शुद्ध कर देता ।
लता पंत
सौजण्य : बालभारती
0 Comments